Paush purnima 2021: know date time significance pujan vidhi and shubh muhurat

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Paush Purnima 2021: पौष पूर्णिमा आज, जानिए पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्‍व

पौष पूर्णिमा 2021: पौष पूर्णिमा के दिन स्‍नान और दान का विशेष महत्‍व है

नई दिल्ली:

Paush Purnima 2021 Date: हिन्‍दू धर्म में पौष पूर्णिमा (Paush Purnima) का विशेष महत्‍व है. पौष का महीना सूर्य देव का महीना माना जाता है. वहीं, पूर्णिमा की तिथि चन्द्रमा की तिथि होती है. सूर्य और चन्द्र का अद्भुत संयोग सिर्फ पौष पूर्णिमा को ही मिलता है. इस दिन के बाद से ही माघ महीने की शुरुआत के साथ स्‍नान का शुभारंभ होता है. मान्‍यता है कि पौष पूर्णिमा के दिन व्रत करने और पवित्र नदियों में स्‍नान करने से मोक्ष की प्राप्‍ति होती है. इस दिन सूर्य देव और भगवान श्रीकृष्‍ण की पूजा का विधान है.  पौष पूर्णिमा के दिन लोग व्रत करते हैं साथ ही ब्राहम्णों और जरूरतमंदों को दान भी देते हैं. कहा जाता है कि ऐसा करने से विशेष पुण्‍य मिलता है और सूर्य भगवान सभी  मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.

पौष पूर्णिमा कब है? (Paush Purnima 2021 Date)

हिन्‍दू कैलेंडर के अनुसार,  पौष माह शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि को पौष पूर्णिमा मनाई जाती है. इस बार पौष पूर्णिमा 28 जनवरी को है. 

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पौष पूर्णिमा तिथि व मुहूर्त-  (Paush Purnima 2021 Muhurat)
पूर्णिमा तिथि आरंभ- 28 जनवरी 2021 गुरुवार को दोपहर 01 बजकर 18 मिनट से.
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 29 जनवरी 2021 शुक्रवार की रात 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगी.

पौष पूर्णिमा पर इस विधि से करें पूजा (Paush Purnima 2021 Pujan Vidhi)

– पौष पूर्णिमा के दिन सुबह-सवेरे उठकर स्‍नान करने के बाद व्रत का संकल्‍प लें.

–  पौष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्‍नान का विशेष महत्‍व है. अगर किसी तीर्थ स्‍थान पर जाकर स्‍नान करना मुमकिन न हो तो नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्‍नान करना चाहिए.

– स्‍नान के बाद भगवान सूर्य को अर्घ्‍य दें.

– अब घर के मंदिर में भगवान श्रीकृष्‍ण की मूर्ति, तस्‍वीर या कैलेंडर के आगे दीपक जलाएं. 

– अब श्रीकृष्‍ण को नैवेद्य और फल अर्पित करें. 

– इसके बाद विधिवत् आरती उतारें.

– रात के समय भगवान सत्‍यनारायण की कथा पढ़ें, सुने या सुनाएं. 

– कथा के बाद भगवान की आरती उतारें और चंद्रमा की पूजा करें.

– पौष पूर्णिमा के दिन दान करना अच्‍छा माना जाता है. यथासामर्थ्‍य किसी जरूरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराकर दान-दक्षिणा दें.

– दान में तिल, गुड़, कंबल और ऊनी कपड़े देने की परंपरा है.

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