खैरागढ़ उप-चुनाव:- क्या सत्ता में होने बाद भी चुनाव हार रही है कांग्रेस?
न्यूज़ डेस्क- छत्तीसगढ़ की सत्ता का सेमिफिनल माने जाने वाले खैरागढ़ उप-चुनाव में अब कुछ ही दिन बचे हैं। वैसे देखा जाये तो पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार मैदान में कम प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे है लेकिन मुख्य लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस में है। अगर प्रत्याशी की बात करें तो बीजेपी ने दो बार विधायक रहे कोमल जंघेल पर दाव खेला है तो वहीँ कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में नया चेहरा को उतारते हुए यशोदा वर्मा को मौका दिया है।
क्षेत्रीय समीकरण
खैरागढ़ विधानसभा मुख्यतः दो भागों में है जो घाटी के इसपार और उसपार कहलाता है। वैसे खैरागढ़ विधानसभा का 70 फिसद हिस्सा छुईखदान में आता है तो 30 फिसद हिस्सा खैरागढ़ में आता है।
मौजूदा समीकरण
अगर मौजूदा समीकरण की बात करें तो कांग्रेस प्रत्याशी पर बीजेपी प्रत्याशी भारी है क्योंकि कोमल जंघेल को सभी जानते है और उनकी पकड़ पुरे विधानसभा में है वहीँ यशोदा वर्मा को सिर्फ खैरागढ़ में ही जानते हैं। घाटी के उसपार साल्हेवारा और पैलिमेटा के 45 बूथों में अभी बराबरी का मुकाबला है लेकिन यहाँ देखना होगा की JCCJ और गोडवाना पार्टी कितना वोट हासिल करती है। गंडई क्षेत्र के लगभग 54 बूथों में लोधी समाज बाहुल्य होने की वजह से यहाँ कोमल जंघेल की सबसे ज्यादा पकड़ है। वहीँ अगर छुईखदान की बात करें तो यहाँ कोमल जंघेल का निवास स्थान होने की वजह से यहाँ भी बीजेपी मजबूत है। खैरागढ़ विकासखंड की बात करें तो वहां से स्थानीय होने की वजह से कांग्रेस प्रत्याशी मजबूत हैं तो दुर्ग जिले के बॉर्डर पर बसे जालबांधा में बीजेपी मजबूत है।
क्या होगा परिणाम
मौजूदा हालात की अगर बात करें तो बीजेपी प्रत्याशी अभी मजबूत स्तिथि में है लेकिन देखना होगा की चुनाव प्रचार में बचे सिर्फ दो दिनों में सत्ता में काबिज़ कांग्रेस कितना लोगों को लुभा पाती है।