झूलन को वो सम्मान नहीं मिला जो वो डीज़र्व करती थीं

20 साल का लम्बा करियर, 10 हज़ार से ज़्यादा गेंद फेंकने वाली, 284 अंतराष्ट्रीय मैचों में 355 विकेट.

झूलन को वो सम्मान नहीं मिला जो वो डीज़र्व करती थीं
झूलन को वो सम्मान नहीं मिला जो वो डीज़र्व करती थीं
कल क्रिकेट का घर कहा जाने वाले मैदान इंग्लैंड के लार्ड्स में भारतीय महिला क्रिकेट टीम की एक दिग्गज़ गेन्दबाज़ झूलन गोवस्वामी ने अपना अंतिम मैच खेलते हुए क्रिकेट से संन्यास लिया, लेकिन झूलन को वो सम्मान नहीं मिला जो वो डीज़र्व करती थीं जिनकी गिनती दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में होती है. अपने आखरी मैच में इंग्लैंड के खिलाफ 2 विकेट लिए और मैच के साथ इंग्लैंड की धरती पर 23 साल बाद सीरीज़ जीतने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
20 साल का लम्बा करियर, 10 हज़ार से ज़्यादा गेंद फेंकने वाली, 284 अंतराष्ट्रीय मैचों में 355 विकेट और ना जाने कितने रिकॉर्ड है जिनका टूटना बहुत मुश्किल है. एक ऐसी गेन्दबाज़ का सन्यास सिर्फ कुछ अखबारों, कुछ न्यूज़ वेबसाइट और कुछ पत्रकारों के ट्वीट तक ही सीमित रह गया. झूलन को वो फेयरवेल नहीं मिला जैसा पुरुष खिलाड़ियों को दिया जाता है. ना किसी न्यूज़ चैनल ने कोई ब्रेकिंग न्यूज़ चलाई, ना कोई स्पेशल प्रोग्राम चलाया गया, ना कोई हैश टैग ट्वीटर पर ट्रेंड हुआ. ना किसी ने इंस्टाग्राम पर रील्स बनाके शेयर किया.
ये दुर्भाग्य है की 21वीं सदी में भी महिला क्रिकेट को वो सम्मान, प्यार और वो तवज्जो नहीं दी जाती जो पुरुष क्रिकेट को मिलती है. सबने कुछ वर्ष पहले दिया था ज़ब महिला क्रिकेट टीम ने वर्ल्ड कप में शानदार प्रदर्शन किया था. लेकिन वो बस कुछ महीनों तक ही था उसके बाद फिर उसी ट्रैक पर आगये. सबको सिर्फ वर्ल्ड कप चाहिए पर बकी समय में समर्थन देना उचित नहीं समझा जाता.. खेर उम्मीद है ये सब बदलेगा. झूलन उन तमाम लड़कियों के लिए प्रेरणा बनेगी जो भविष्य में देश के लिए वर्ल्ड कप और मेडल लायेंगी.. लेकिन उसके लिए इस समाज की सोच को भी बदलना जरुरी होगा.

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