कुछ लोग मुसलमानों को ‘पराया’ करार देने की संगठित कोशिश कर रहे : हामिद अंसारी

Some people are making concerted efforts to declare Muslims as strangers: Hamid Ansari - कुछ लोग मुसलमानों को ‘पराया’ करार देने की संगठित कोशिश कर रहे : हामिद अंसारी

हामिद अंसारी

Some people are making concerted efforts to declare Muslims as strangers: Hamid Ansari – कुछ लोग मुसलमानों को ‘पराया’ करार देने की संगठित कोशिश कर रहे : हामिद अंसारी

कुछ लोग मुसलमानों को ‘पराया’ करार देने की संगठित कोशिश कर रहे : हामिद अंसारी

पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी (फाइल फोटो).

नई दिल्ली:

पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी (Hamid Ansari) ने बुधवार को इस बात पर अफसोस जताया कि देश में कुछ लोगों द्वारा मुसलमानों (Muslims) को ‘पराया’ करार देने की संगठित कोशिश की जा रही है लेकिन भारत का बहुलतावादी समाज सदियों से एक सच्चाई है. अपनी पुस्तक ‘बाई मैनी ए हैपी एक्सीडेंट: रिक्लेक्शन ऑफ लाइफ’ पर परिचर्चा में उन्होंने कहा कि उनका मुसलमान होना मायने नहीं रखता है बल्कि उनकी पेशेवर योग्यता मायने रखती है.

Some people are making concerted efforts to declare Muslims as strangers: Hamid Ansari – कुछ लोग मुसलमानों को ‘पराया’ करार देने की संगठित कोशिश कर रहे : हामिद अंसारी

उन्होंने कहा, ‘‘मुसलमानों को पराया करार देने की कुछ खास वर्गों द्वारा संगठित कोशिश की जा रही है. क्या मैं नागरिक हूं या नहीं? यदि मैं नागरिक हूं तो मुझे उन सभी चीजों का लाभार्थी होने का हक है जो नागरिकता से मिलती है.” वैसे उन्होंने अपनी बातें स्पष्ट नहीं की. पूर्व उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘भारत में बहुलतावादी समाज सदियों से अस्तित्व में हैं. ”

इस मौके पर पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदम्बरम ने कहा कि वह और अंसारी दुखी है क्योंकि पिछले कुछ साल के घटनाक्रम ‘‘उन लोगों के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं जो मुसलमान हैं.” उन्होंने कहा, ‘‘वे खतरा महसूस करते हैं, इसलिए वे पीछे हट रहे हैं.” उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘भारत में मुस्लिम पहचान को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है और वर्तमान शासन उन्हें शातिर तरीके से निशाना बना रहा है.”

अंसारी ने कहा कि मुस्लिम पहचान पर बहस ‘‘बिल्कुल फालतू” है क्योंकि हर व्यक्ति की कई पहचान हैं.

उन्होंने कहा कि चार दशक तक पेशेवर राजनयिक के रूप में उनके अनुभव में तो उनके मुसलमान होने की चर्चा नहीं होती है. उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं मुश्किल दौर में संयुक्त राष्ट्र में था, तब तो मेरा मुसलमान होना मायने नहीं रखा. मेरी पेशेवर योग्यता मायने रखती थी.”

(इस खबर को HamaraTimesटीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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