कांग्रेस के लिए आसान नही खैरागढ़ की कुर्सी

भाजपा प्रत्याशी की जमीनी पकड़ पड़ न जाये भारी

खैरागढ़ उप-चुनाव

कांग्रेस के लिए आसान नही खैरागढ़ की कुर्सी
भाजपा प्रत्याशी की जमीनी पकड़ पड़ न जाये भारी

न्यूज़ डेस्क:- राजनांदगांव जिले के अंतर्गत आने वाले खैरागढ़ विधानसभा क्षेत्र के विधायक देवव्रत सिंह के निधन के बाद से सीट खाली है जिसके लिए विगत 12 अप्रैल को यहाँ चुनाव सम्पन्न हुआ है।

खैरागढ़ विधानसभा में वोटर की संख्या 2 लाख 11 हजार से ज्यादा है जो भाजपा और कांग्रेस समेत दस प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला कर चुके है,जिसका परिणाम 16 अप्रैल को आना है। इस उपचुनाव में 3752 मतदाता पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग किया है।

जातिगत जनबल के आधार पर उतरे प्रत्याशी

विधानसभा क्षेत्र में अलग-अलग जाति वर्ग के मतदाता हैं लेकिन सबसे ज्यादा मतदाता लोधी वर्ग के हैं जिनकी संख्या करीब 65 हजार से ज्यादा है दोनों। राजनीतिक पार्टियों भाजपा और कांग्रेस ने लोधी समाज से ही अपने प्रत्याशियों को मैदान पर उतारा है। लोधी समाज के 65 हजार वोट ही निर्णायक होंगे वहीं दूसरी ओर सबसे ज्यादा करीब 29 हजार की संख्या में गोंड जाति व साहू और अन्य जाति के करीब 20 हजार से ज्यादा मतदाता हैं।

लोधी समाज का अधिकतम झुकाव अपने पुराने प्रत्याशी और दो बार के विधायक कोमल जंघेल की ओर है तो वही गोंड व साहू समाज का झुकाव सत्ता पक्ष की ओर नजर आया है।

छुईखदान निभा सकता है बड़ी भूमिका

खैरागढ़ विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत दो बड़े विकासखंड आते हैं इसमें छुईखदान और खैरागढ़ शामिल है. छुईखदान विकासखंड में तकरीबन 182 बूथ हैं जिसमे गंडई से ले कर साल्हेवारा का पूरा हिस्सा आता है। ऐसा बताया जा रहा है कि इन बूथों मे जो भी प्रत्याशी मजबूत होता है उसकी जीत की संभावना बढ़ जाती है। वही खैरागढ़ विकासखंड में 101बूथ है जिसमें ज्यादातर शहरी क्षेत्रों के सामान्य मतदाता शामिल हैं।

खैरागढ़ को जिला बनाने की घोषणा का कितना होगा असर

कांग्रेस ने खैरागढ़ विधानसभा से अपना प्रत्याशी यशोदा नीलांबर वर्मा को बनाया जिनकी जमीनी पकड़ ना के बराबर है वहीँ भाजपा ने अपने सबसे मजबूत प्रत्याशी कोमल जंघेल को मैदान में उतारकर खैरागढ़ विधानसभा की जंग सीधे तौर पर कोमल जंघेल व छत्तीसगढ़ सरकार के बीच का बना दिया है।

भाजपा प्रत्याशी की लोकप्रियता को देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आनन-फानन में एक जन घोषणा पत्र जारी करते हुए खैरागढ़ की बहुत पुरानी मांग खैरागढ़- छुईखदान- गंडई को 24 घंटे के अंदर नवीन जिला बनाने की घोषणा के साथ साथ अन्य कई लोक लुभावन वादे किए गए है।

नवीन जिला निर्माण की घोषणा के बाद से कांग्रेस के पक्ष में माहौल जरूर बदला है लेकिन कई मतदाता इसे चुनावी जुमला बता रहे हैं और बीजेपी के पक्ष में है।

जनता में राज्य सरकार की योजनाओ की जानकारी का आभाव, भाजपा को फायदा

विधानसभा में छत्तीसगढ़ सरकार की योजनाओं की जानकारी का अभाव देखने को मिला। इस विधानसभा में बिजली बिल हाफ को छोड़कर अन्य किसी योजनाओं पर अमलीजामा नहीं पहनाया गया है। गौठान ना के बराबर हैं और जो है भी उसकी स्थिति जर्जर हो चुकी है। गोबर खरीदी नहीं हो रही है एवं सरकार की अन्य कई योजनाएं विधानसभा में नहीं पहुंच रही हैं। सरकार की चलाई जा रही योजनाओं को खैरागढ़ विधानसभा में प्रसारित व लागू नहीं किया गया है। इसका असर चुनाव पर जरूर पड़ेगा और इसका लाभ भाजपा को जरूर मिलेगा।

कांग्रेस और भाजपा ने झोंकी अपनी ताकत

खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव में भाजपा व कांग्रेस दोनों ने अपने अपने स्तर पर जनता को लुभाने का जप्रयास किया है। जहां एक ओर कांग्रेस को सत्ता में रहने का फायदा मिला तो वहीं दूसरी ओर भाजपा में सत्ता से दूर होने का मलाल भी नजर आया। एक ओर जहां कांग्रेस ने अपने मंत्रीयो समेत दर्जनों विधायको की फौज को मैदान में उतारा था व मुख्यमंत्री भुपेश बघेल खैरागढ उपचुनाव को 2023 का सेमीफाइनल मानते हुए खैरागढ में लगातार जनसभा लेते रहे व कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार किया।

वहीँ भाजपा ने भी पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह समेत कई विधायकों व प्रदेश पदाधिकारियों को चुनावी मैदान में उतारा था। इसके साथ ही खैरागढ़ में अपने प्रत्याशी के प्रचार के लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत कई स्टार प्रचारको को भी मैदान में उतारा था। अब देखना यह है की कांग्रेस और भाजपा मे से कौन जनता को लुभाने में कामयाब हो पाता है ।

सर्वे के आधार पर जीत कांग्रेस की लेकिन राह इतनी भी आसान नहीं

HAMARATIMES.COM की टीम के 10 से भी ज्यादा रिसर्चरों ने खैरागढ विधानसभा की सम्मानित जनता के बीच मे जाकर उनके मन की बात को जानने का प्रयास किया। जिसके आधार पर कांग्रेस को सत्ता में होने का फायदा व जिला बनाने की घोषणा का लाभ मिलता दिखाई दे रहा है पर ज्यादातर जनता सत्ता में होने के लाभ को जीत का मुख्य कारण नहीं मान रही है।

वंही जनता का कहना है कि विधानसभा का चुनाव भाजपा प्रत्याशी कोमल जंघेल व सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ सरकार के बीच में है। यशोदा वर्मा को ग्रामीण क्षेत्रों में कई लोगो ने पहचानने से भी इंकार कर दिया यह उनकी जमीनी पकड़ ना होने का नतीजा है। वंही कोमल जंघेल की जमीनी पकड़ काफी मजबूत है पर सत्ता और जिला की घोषणा से नुकसान की संभावना ज्यादा है। जिसके कारण खैरागढ में जीत का अंतर कम होने की पूरी संभावना है।

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