बुलडोजर एक्शन पर Supreme Court की सख्त टिप्पणी

बुलडोजर एक्शन पर Supreme Court की सख्त टिप्पणी
बुलडोजर एक्शन पर Supreme Court की सख्त टिप्पणी

बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

न्यूज़ डेस्क- सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को विभिन्न राज्यों में आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलाने के प्रशासनिक अभ्यास पर सवाल उठाए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी भी व्यक्ति के घर को बिना कानून के तय प्रक्रिया का पालन किए ढहाया नहीं जा सकता। यह आदेश कोर्ट ने जमीयत उलमा ए हिंद और अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिया। कोर्ट ने इस मुद्दे पर पूरे देश के लिए दिशा-निर्देश जारी करने का संकेत दिया और सभी पक्षकारों से सुझाव मांगे।

बुलडोजर एक्शन पर Supreme Court की सख्त टिप्पणी
बुलडोजर एक्शन पर Supreme Court की सख्त टिप्पणी

कानूनी प्रक्रिया की अनुपस्थिति पर चिंता

सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने मामले की सुनवाई की। इस दौरान उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति किसी अपराध में आरोपी है, तो भी उसके घर को बगैर कानूनी प्रक्रिया के ढहाया नहीं जा सकता। पीठ ने बताया कि अवैध निर्माण या अतिक्रमण की स्थिति में भी कानून के मुताबिक कार्रवाई की जानी चाहिए। यह सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है कि किसी भी व्यक्ति के घर को सिर्फ उसके आरोपी होने के आधार पर न ढहाया जाए।

उत्तर प्रदेश सरकार का जवाब

उत्तर प्रदेश सरकार ने इस संबंध में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के माध्यम से जवाब दिया। मेहता ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने 9 अगस्त को हलफनामा दाखिल किया था जिसमें कहा गया था कि अपराध में आरोपित होना किसी के घर को ढहाने का आधार नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि अचल संपत्ति केवल म्युनिसिपल अधिनियम और विकास प्राधिकरण अधिनियम के उल्लंघन के आधार पर ढहाई जाती है। मेहता ने यह भी कहा कि किसी भी अचल संपत्ति को ढहाने से पहले नोटिस जारी किया जाता है और यह प्रक्रिया कानून के तहत होती है।

जमीयत की चिंताएं और कोर्ट की टिप्पणी

जमीयत उलमा ए हिंद ने याचिका में आरोप लगाया था कि विभिन्न राज्यों में समुदाय विशेष और वंचित वर्ग के लोगों के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई की जा रही है। वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे और फारुख रशीद ने कोर्ट को बताया कि इस तरह के कदम से इंसाफ का खतरा पैदा हो रहा है। कोर्ट ने भी इस पर चिंता व्यक्त की और कहा कि अवैध निर्माण और अतिक्रमण के मामलों में भी कानून के मुताबिक कार्रवाई होनी चाहिए, न कि त्वरित और बिना प्रक्रिया के।

अगली सुनवाई और दिशा-निर्देश

कोर्ट ने इस मामले पर 17 सितंबर को अगली सुनवाई तय की है। पीठ ने कहा कि कोर्ट का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी व्यक्ति के घर को बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के न ढहाया जाए। दुष्यंत दवे और सीयू सिंह जैसे वकीलों ने कोर्ट से इस मुद्दे पर व्यापक दिशा-निर्देश जारी करने की अपील की है। कोर्ट ने सभी पक्षकारों से सुझाव मांगते हुए निर्देशित किया है कि वे अपने सुझाव मध्य प्रदेश के एडीशनल एडवोकेट जनरल नचिकेता जोशी को प्रस्तुत करें।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्पष्ट किया कि कोई भी व्यक्ति सिर्फ आरोपी होने के आधार पर अपने घर से वंचित नहीं हो सकता। कोर्ट ने कानून की तय प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया है। मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी, और इस दौरान कोर्ट द्वारा दिशा-निर्देश जारी किए जाने की संभावना है जो पूरे देश में इस मुद्दे पर एक ठोस कानूनी ढांचा प्रदान करेंगे।

गौरतलब हो कि पिछले 2 सालों में हजारों लोगों के घरों पर बुल्डोजर चला है। अगर नाम किसी केस में आता है तो भी उनके ऊपर बुल्डोजर द्वारा कार्रवाई की जाती है। जानकारों का कहना है कि किसी आरोपी के घर पर सिर्फ इस बात के लिए बुल्डोजर चला दिया जाता है कि वह अवैध निर्माण था, तो जब वह निर्माण हो रहा था तब विभाग कहाँ था। कार्रवाई उसी समय होनी चाहिए जब वह निर्माण हो रहा हो।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here