द नशीद स्टूडियो प्रोडक्शन ने “नाम का मुसलमान 2” एक शॉर्ट फिल्म जो 17 मिनट्स 21 सेकंड की है पिछले हफ्ते अपने यूट्यूब चैनल पे रिलीज़ की है।
“नाम का मुसलमान 2” एक शॉर्ट फिल्म
ये फिल्म “नाम का मुसलमान” का सिक्वल है पहली फिल्म भी इस्लाम पे सिर्फ रस्मी तौर से चलने वालों को दुनिया में क्या नुकसान होता है इसे आधारित थी और नाम का मुसलमान पार्ट 2 बच्चों की तरबियत पे एक अहम पैगाम देती है।
फिल्म की शुरुआत में आकिब को दिखाया जाता है जो मस्जिद से नमाज़ पढ़ कर निकला है तभी उसके दोस्त के वालिद का फोन उसको हैरानी में डाल देता है की उसका बचपन का दोस्त हॉस्पिटल मे है और केंसर के लास्ट स्टेज में है, आकिब तुरंत हॉस्पिटल भागता है। इधर हॉस्पिटल मे फैज़ को ढिखाया जाता है जो इस फिल्म का मुख्य किरदार है बेहोशी की हालत में सिर्फ ये चिल्ला रहा है की मौलाना साहब को रोक लो अम्मी।
मां और बाप इसके बार बार आने वाले इस ख़्वाब से परेशान होते हैं। डॉक्टर जैसे ही फैज़ को इंजेक्शन लगाता है वो पूरी तरह नींद में चला जाता है और फ्लैश बैक में अपने बचपन की झलकियां देखता है जहां उसकी मां इंग्लिश टीचर को 1 रुपए फीस भी कम नहीं करा पाती पूरे 3000 देने की बात करती है वही मौलवी साहब को 500 रुपए देने में भी मुंह बनाती है। इंग्लिश टीचर के आने से पहले बच्चा पढ़ने बेटा हुवा होता है और मौलाना साहब के वक्त ज्यादातर खेलता ही रेहता है, मौलाना साहब को बिन पढ़ाए ही वापस जाना पढ़ता है। इंग्लिश टीचर की मेहमान नवाजी खूब होती है और मौलाना साहब के उठने के वक्त चाय आती है।
फैज़ अपनी जवानी और अमेरिका से पढ़ाई के दौरान आए हुवे उन छुट्टियों के पल को भी देखता है जहां उसके मां बाप हैरान हैं की फैज़ दो लड़कों में आपस में हुई शादी को बुरा नहीं समझता। मां बाप को एहसास होता है की ये दीनी तालिमात न देने का नतीजा है। वहीं उसे अपने दोस्त आकिब से की हुई वो बाते याद आती हैं जिसमे वो कुरान से ऐसे बोहोत से हवाले पेश करता है जो एक वैज्ञानिक अपनी बरसों की रिसर्च के बाद जान पाता है।
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फैज़ को होश आता है वो अपने वालिद से उसकी सारी डिग्रियां मंगाने को बोलता है। डिग्रियां आने पे वो कहता है की आपने मुझे दुनिया की हर तालीम दी पर क़ब्र के सवाल के जवाब नहीं सिखाए और अब मैं मरने वाला हूं। बाप फैज़ की बात सुन कर बोहोत अफसोस करता है, फैज़ अपने वालिद को दुनियां के तमाम बाप को ये पैगाम देने को कहता है की जैसा फैज़ के मां बाप ने फैज़ को दीनी तालीम न देकर फैज़ पे जुल्म किया है ऐसा दुनिया के कोई वालदेन अपनी औलाद के साथ न करे, इतना कहते ही उसका इंतकाल हो जाता है।
इस शॉर्ट फिल्म को सलाहुद्दीन अहमद ने लिखा और डायरेक्ट किया है। फिल्म में मुख्य किरदार निभाने वाले कलाकार हैं तौसीफ ख़ान, ए एन खान, मोहम्मद शुएब, नसीर खान, अर्चना कुमारी, जुनेद अल्वी, फरीद, हंजाला, राहिल और फैज़। फिल्म की छायांकन और एडिटिंग सलमान हुसैन ने की है। असिस्टेंट डायरेक्टर खालिद नियाज़ी और VFX अब्दुर रहमान ने किया है।