महासमुंद में लापरवाही से बच्ची की मौत: अस्पताल सील, प्रबंधन को नोटिस
Mahasamund के तुमगांव थाना क्षेत्र के नवजीवन अस्पताल में प्रबंधन की लापरवाही के कारण एक 6 वर्षीय बच्ची की मौत हो गई। इस गंभीर मामले को लेकर जिला मुख्य चिकित्सा अ
धिकारी ने एक जांच समिति गठित की, जिसने त्वरित कार्रवाई करते हुए अस्पताल को सील कर दिया और प्रबंधन को 8 बिंदुओं पर नोटिस जारी किया। जांच पूरी होने तक अस्पताल को ताला लगाकर बंद कर दिया गया है।
घटना की शुरुआत बीते गुरुवार की शाम हुई जब नेतराम धीवर नामक एक व्यक्ति अपनी 6 वर्षीय बेटी अंकिता धीवर को लेकर भोरिंग स्थित नवजीवन क्लीनिक पहुंचे। बच्ची दस्त और हल्की बुखार के कारण सुस्त थी। क्लीनिक में मौजूद उदयराम साहू ने बताया कि बच्ची के शरीर में पानी की कमी हो गई है और ग्लूकोज चढ़ाने की आवश्यकता है। इसके बाद, उन्होंने बच्ची को तुमगांव-महासमुंद चौक स्थित नवजीवन अस्पताल ले जाने की सलाह दी।
नेतराम धीवर अपनी बेटी को लेकर बिना देरी किए अस्पताल पहुंचे। अस्पताल में डॉक्टर की गैरमौजूदगी के बावजूद स्टाफ ने बच्ची को भर्ती किया और रिसेप्शन में 200 रुपए लेकर फार्म भरवाया। भर्ती के बाद, स्टाफ ने बच्ची को Amikacin 250 IV, PCM IV और Ondem IV ड्रिप देने शुरू किए। इसके कुछ ही समय बाद बच्ची को बेचैनी होने लगी और स्टाफ ने ड्रिप देना बंद कर दिया। स्टाफ ने परिजनों को बताया कि बच्ची को गर्मी लग रही है और उसे थोड़ी देर के लिए खुले में ले जाने को कहा।
बच्ची की स्थिति में कोई सुधार न होने पर उसे तुरंत एक्स-रे कराने ले जाया गया। जब बच्ची की हालत बिगड़ गई और उसे नियंत्रित नहीं किया जा सका, तो अस्पताल स्टाफ ने नेतराम धीवर को सरकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाने के लिए कहा। नेतराम ने बेटी को लेकर स्वास्थ्य केंद्र की ओर रवाना हुए, लेकिन वहां पहुंचने से पहले ही बच्ची ने दम तोड़ दिया। डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया।
इस घटना के बाद, जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एक जांच समिति गठित की। समिति ने अस्पताल के प्रबंधन की लापरवाही को प्रमाणित किया और तुरंत अस्पताल को सील कर दिया। प्रबंधन को 8 बिंदुओं पर नोटिस जारी किया गया, जिसमें चिकित्सा सुविधाओं की कमी, आपातकालीन प्रबंधन की असफलता, और मरीजों की देखभाल में लापरवाही शामिल है। जांच पूरी होने तक अस्पताल बंद रहेगा और प्रबंधन के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।
यह मामला महासमुंद में चिकित्सा सुविधाओं की गुणवत्ता और अस्पताल प्रबंधन की जिम्मेदारी को लेकर एक बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। पीड़ित परिवार न्याय की उम्मीद कर रहा है और क्षेत्र में अन्य लोगों को भी सावधान किया जा रहा है कि वे चिकित्सा सुविधाओं के मामले में सतर्क रहें।