भोकरदन विधानसभा चुनाव 2024: क्या BJP बनाएगी अपनी पकड़ या महाविकास अघाड़ी ले जाएगी बाजी?

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भोकरदन विधानसभा चुनाव 2024: क्या BJP बनाएगी अपनी पकड़ या महाविकास अघाड़ी ले जाएगी बाजी?

News Desk- महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव 2024 की सरगर्मियाँ तेज हो चुकी हैं। 288 सीटों पर होने वाले इस चुनाव में मतदान 20 नवंबर को होंगे और नतीजे 23 नवंबर को सामने आएंगे। इस बार मुख्य रूप से सत्ताधारी महायुति (BJP) और विपक्षी महाविकास अघाड़ी के बीच कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है। कई नए चेहरे चुनावी मैदान में उतरे हैं, लेकिन जनता का समर्थन किसे मिलेगा, यह नतीजों के बाद ही पता चल सकेगा।

भोकरदन विधानसभा सीट की स्थिति

भोकरदन विधानसभा सीट महाराष्ट्र के जालना जिले की प्रमुख सीटों में से एक मानी जाती है। पिछले दो कार्यकालों से इस सीट पर बीजेपी के संतोष रावसाहेब धानवे का कब्जा है। इससे पहले 2003 से 2009 तक इस सीट पर एनसीपी का वर्चस्व रहा, जबकि 1990, 1995, और 1999 के चुनावों में यहाँ BJP विजयी रही थी।

2019 के चुनावी नतीजे

विधानसभा चुनाव 2019 में BJP ने संतोष धानवे को टिकट दिया था, जिन्होंने 118,539 वोटों के साथ बड़ी जीत हासिल की थी। एनसीपी के चंद्रकांत दानवे, जो तीन बार इस सीट से विधायक रह चुके थे, को 86,049 वोट मिले थे। यह चुनाव मुख्य रूप से बीजेपी और एनसीपी के बीच कांटे की टक्कर का प्रतीक बना।

जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण

भोकरदन विधानसभा सीट पर जातिगत और वोट बैंक समीकरण भी अहम भूमिका निभाते हैं। यहाँ पर दलित मतदाता 14% और आदिवासी वोटर 4% हैं। मुस्लिम वोट बैंक लगभग 12% का है, जो इस सीट के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है। ग्रामीण और शहरी मतदाताओं के दृष्टिकोण से देखें तो 6% शहरी और शेष मतदाता ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं।

वर्तमान राजनीतिक स्थिति और चुनौतियाँ

2024 के चुनाव में बीजेपी के लिए यह सीट आसान नहीं होगी। मुस्लिम मतदाताओं के 12% होने से यह सीट समीकरण को प्रभावित कर सकती है, साथ ही एंटी-इनकंबेंसी भी मौजूदा विधायक के खिलाफ मानी जा रही है। 2014 में बीजेपी ने इसी एंटी-इनकंबेंसी फैक्टर का लाभ उठाते हुए एनसीपी को हराया था। अब देखना होगा कि क्या बीजेपी यहाँ फिर से जीत का परचम लहराएगी या महाविकास अघाड़ी इस बार सीट छीनने में सफल होगी।

भोकरदन विधानसभा सीट पर मुकाबला दिलचस्प होता जा रहा है। बीजेपी के सामने मुस्लिम मतदाताओं की चुनौती और एंटी-इनकंबेंसी फैक्टर हैं, जबकि एनसीपी इस बार इसे भुनाने की कोशिश में है। अब यह देखना रोचक होगा कि मतदाता किसे समर्थन देते हैं और 23 नवंबर को क्या नतीजे सामने आते हैं।

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