Union Budget 2021: Chief Economic Advisor said, the era of economy ball swings too much – मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा, अर्थव्यवस्था की बॉल के बहुत ज्यादा स्विंग करने का दौर गुजर गया
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि ”हमारा प्रोजेक्शन है कि 2020-21 में वी शेप रिकवरी होगी और जीडीपी विकास दर 11 फ़ीसदी रहेगी.” उन्होंने कहा कि ”हमारा एसेसमेंट है कि केंद्र और राज्यों को मिलाकर प्रायमरी डेफिसिट में 6 परसेंट तक का अंतर हो सकता है क्योंकि कोरोना वायरस की वजह से सरकार का रेवेन्यू घटा है और खर्च बढ़ा है. मौजूदा दौर में सरकार की तरफ से खर्च बढ़ाना वाजिब है.”
सवाल- आम आदमी को, मिडिल क्लास को इनकम टैक्स में रिलीफ देने के विकल्प पर सरकार को आगे बढ़ना चाहिए? पर सुब्रमण्यम ने कहा कि ”पिछले बजट में इनकम टैक्स रेट काफी कम किया गया था. कॉरपोरेट टैक्स रेट में भी सितंबर 2020 में काफी कमी लाई गई. जीएसटी – इनडायरेक्ट टैक्स रेट में भी कमी आई है. यह समय ऐसा है जब अर्थशास्त्र के मुताबिक इस समय सरकार को और खर्च करने पर ज्यादा फोकस करना होगा जिससे रोजगार बढ़े और अर्थव्यवस्था में डिमांड भी.”
उन्होंने कहा कि ”बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर पर एक रुपये खर्च करने पर 4.50 रुपये तक फायदा होता है. मेरे मुताबिक टैक्सपेयर्स के रिसोर्सेज को इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च करना ज्यादा बेहतर होगा ना कि रेवेन्यू स्पेंडिंग पर खर्च करना.” यानी टैक्स रिलीफ की जगह सरकार को अर्थव्यवस्था में खर्च बढ़ाने पर फोकस करना चाहिए? इस सवाल पर के सुब्रमण्यम ने कहा- जी हां.
नए कृषि कानूनों से जुड़े आर्थिक सर्वेक्षण को लेकर उन्होंने कहा कि ”नए कृषि कानूनों का 85 फ़ीसदी छोटे और मार्जिनल फार्मर को ज्यादा फायदा मिलेगा. नए कृषि कानून छोटे और मंझोले किसानों को नया विकल्प देने के लिए लाए गए हैं. आज मंडी में जो छोटा किसान है उसे एक “गुट” से निपटना पड़ता है. इसके अलावा उसके पास कोई विकल्प नहीं है. आज जो 100 रुपये किसानों की उपज पर बेनिफिट होता है उसका 80 से 85% मिडिलमैन ले जाता है. नए विकल्प आने से कृषि उपज पर अगर 100 रुपये मुनाफा होगा तो उसका 50 रुपये तक छोटे और मार्जिनल किसान को मिलेगा. नए कृषि कानून छोटे किसानों की स्थिति सुधारने के लिए बेहद जरूरी हैं. उन्हें इसका सबसे ज्यादा फायदा होगा.”
Union Budget 2021: Chief Economic Advisor said, the era of economy ball swings too much – मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा, अर्थव्यवस्था की बॉल के बहुत ज्यादा स्विंग करने का दौर गुजर गया
मौजूदा न्यूनतम समर्थन मूल्य व्यवस्था (MSP System) को लेकर जारी विवाद पर सुब्रमण्यम ने कहा कि ”अर्थशास्त्र के मुताबिक न्यूनतम समर्थन मूल्य और एपीएमसी मंडी का मुद्दा अलग-अलग है. नए कृषि कानूनों से किसानों को नए विकल्प मिलेंगे, जबकि एमएसपी एक अलग मुद्दा है. जब तक नेशनल फूड सिक्युरिटी एक्ट है एमएसपी तो रहेगा, सरकार के लिए. एमएसपी को लेकर किसी भी आशंका का कोई आधार नहीं है.”
छोटे और लघु उद्योगों (MSME Sector) को लेकर मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि ”मैं मानता हूं कि छोटी कंपनियों को राहत देना जरूरी है. हम इस पर काम कर रहे हैं. छोटे और लघु उद्योगों पर सरकार को और ज्यादा ध्यान देना होगा.”
कोरोना महामारी और बेरोजगारी को लेकर उन्होंने कहा कि ”इन्फ्रास्ट्रक्चर पर स्पेंडिंग बढ़ाई जा रही है. इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. इसके अच्छे नतीजे आ रहे हैं.” उन्होंने कहा कि ”बेरोजगारी पर CMIE का डाटा संकेत जरूर देता है हालांकि सीएमआई के सैंपल सरकार की मेथोडॉलॉजी से बिल्कुल अलग हैं. CMIE के आंकड़े फायनल आंकड़े नहीं है. इसमें सुधार की जरूरत है. लेकिन कोरोना महामारी का रोजगार पर असर पड़ रहा है.”
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जन स्वास्थ्य के बजट को लेकर उन्होंने कहा कि ”हमने इकोनॉमिक सर्वे में हेल्थ बजट पर खर्च बढ़ाने का सुझाव दिया है. स्वास्थ्य राज्यों का विषय है. स्वास्थ्य पर दो-तिहाई खर्च राज्य ही करते हैं. राज्यों को स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च बढ़ाना चाहिए. जहां तक भारत सरकार का सवाल है आयुष्मान भारत जैसी योजना पर हेल्थ व्यय बढ़ाना एक अच्छा जरिया है.”
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महंगाई को नियंत्रित करने की चुनौती को लेकर के सुब्रमण्यम ने कहा कि ”सरकार को महंगाई नियंत्रित करने के लिए खाद्य पदार्थों की कीमतों को नियंत्रित करने पर विशेष ध्यान देना होगा. महंगाई में बढ़ोतरी का मुख्य स्रोत फूड इन्फ्लेशन ही है.”