क्या दिल्ली में बीजेपी का मेयर होगा ?
न्यूज़ डेस्क- दिल्ली में बीते 7 दिसंबर को MCD चुनाव का परिणाम आ चूका है। इस चुनाव में 15 सालों से MCD की सत्ता में काबिज़ बीजेपी को दस साल पहले बनी नई पार्टी “आम आदमी पार्टी” ने हरा दिया है। परिणाम की बात करें तो आम आदमी पार्टी को 134 सीटों पर जीत मिली तो वहीँ बीजेपी को 104 पर जीत मिली। 104 सीट जीतने के बाद भी बीजेपी के कई बड़े नेता अपना मेयर बनाने का दावा कर रहे हैं। ऐसे में दिल्लीवासी सोच रहें हैं कि ये कैसे संभव जो सकता है की ज्यादा सीट आप पार्टी जीती लेकिन मेयर बीजेपी का होगा?
कैसे होता है मेयर का चुनाव?
मेयर का चुनाव मतदाता नहीं करते हैं बल्कि जो निगम पार्षद चुन कर आते वो ही मेयर का चुनाव करते हैं। चुने हुए पार्षद के साथ-साथ कुछ मनोनीत पार्षद और मनोनीत 14 विधायक भी करते हैं। इसके इलावा सभी सांसद भी अपना वोट देते हैं।
मनोनीत पार्षद का क्या होता है रोल?
2015 से पहले मनोनीत पार्षदों को वोट देने का अधिकार नहीं था। उस समय की कांग्रेस नेता और मनोनीत पार्षद ओनिका मल्होत्रा ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की और मनोनीत पार्षदों को भी वोट देने का अधिकार होने की मांग की। जिसपर दिल्ली हाईकोर्ट ने April 2015 में फैसला सुनाते हुए मनोनीत पार्षदों को भी वार्ड कमिटी के चुनाव में वोट का अधिकार दे दिया। अब संसय ये बनाना हुआ है जब MCD में तीन जोन था तो हर जोन में 10-10 मनोनीत पार्षद थे लेकिन अब तो निगम एक चूका है तो कितने मनोनीत पार्षद होंगे।
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अब कितने मनोनीत पार्षद होंगे?
अगर 30 मनोनीत पार्षद वोट करते हैं तो बीजेपी आसानी से अपना मेयर बना सकती है।
गौरतलब हो की मेयर के चुनाव में दलबदल कानून भी लागु नहीं होता है और ये चुनाव उपराज्यपाल की तरफ से मनोनीत पीठासीन अधिकारी द्वारा कराया जाता है। ये चुनाव एक गोपनीय होता है और किसने किसको वोट दिया इसका पता नहीं लगाया जा सकता।