Mangolpuri का ये इतिहास नहीं जानते होंगे आप
न्यूज़ डेस्क- Mangolpuri, दिल्ली का एक प्रसिद्ध क्षेत्र, न केवल अपने आधुनिक परिवेश के लिए जाना जाता है, बल्कि इसके नाम के पीछे एक दिलचस्प इतिहास भी छिपा है। आपने कभी न कभी इस नाम को सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका संबंध मंगोल आक्रमणों से है? चलिए, इस इलाके के नाम के पीछे की कहानी को जानें।
मंगोलों का आक्रमण
भारत में कई विदेशी शक्तियों ने आक्रमण किए, जिनमें मंगोल भी शामिल थे। 1297 से 1306 के बीच, मंगोलों ने दिल्ली सल्तनत पर लगातार हमले किए। इस समय जलालुद्दीन फिरोज खिलजी सुल्तान थे। मंगोल योद्धा अपनी क्रूरता और आक्रामकता के लिए प्रसिद्ध थे, और उनका मानना था कि उन्हें कोई पराजित नहीं कर सकता। इन आक्रमणों के दौरान, कई मंगोल सैनिक वापस लौटने में असफल रहे।
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Mangolpuri का नामकरण
दिल्ली सल्तनत के समय, कुछ मंगोल सैनिकों ने सुल्तान जलालुद्दीन खिलजी से शरण मांगी। खिलजी ने उन्हें शर्त दी कि अगर वे इस्लाम धर्म स्वीकार करते हैं, तो उन्हें दिल्ली में रहने की अनुमति दी जाएगी। कुछ मंगोल सैनिकों ने इस शर्त को स्वीकार कर लिया। इसके बाद, खिलजी ने उनके लिए एक नया शहर बसाया, जिसे मंगोलपुर नाम दिया गया। यह मंगोलपुर आज मंगोलपुरी के नाम से जाना जाता है।
खिलजी का योगदान
जलालुद्दीन खिलजी ही वह सुल्तान थे जिन्होंने मंगोलों के आक्रमण को रोका। अगर वे सफल हो जाते, तो भारत का इतिहास कुछ और ही होता। खिलजी ने 8000 मंगोलों के सिर दिल्ली के सीरी फोर्ट में चिनवा दिए। मंगोलों के पास हड्डियों से बने हथियार होते थे, और उनका सरदार चंगेज खां का नारा था, “हम हारे या जीते, अपना जीन जरूर छोड़ेंगे।” ये लोग जहां भी जाते, वहां की आधी आबादी को खत्म कर देते थे।
Mangolpuri का नाम केवल एक भौगोलिक स्थिति नहीं, बल्कि एक गहन ऐतिहासिक संदर्भ का प्रतीक है। इस इलाके की कहानी हमें याद दिलाती है कि इतिहास हमेशा हमारे चारों ओर होता है, और हर नाम के पीछे एक कहानी छिपी होती है। मंगोलपुरी की यह कहानी न केवल दिल्ली के इतिहास को उजागर करती है, बल्कि हमें यह भी बताती है कि कैसे अतीत की घटनाएं आज हमारे जीवन को आकार देती हैं।
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