सलाम नमस्ते में “स्वस्थ्य भारत शिक्षित भारत अभियान” की शुरुआत

सलाम नमस्ते में “स्वस्थ्य भारत शिक्षित भारत अभियान” की शुरुआत

स्वस्थ्य भारत शिक्षित भारत अभियान” की शुरुआत

सलाम नमस्ते में स्वस्थ्य भारत शिक्षित भारत अभियान की शुरुआत

न्यूज़ डेस्क: आईएमएस नोएडा के सामुदायिक रेडियो सलाम नमस्ते में न्यूट्री इंडिया कैम्पेन के तहत स्वस्थ भारत शिक्षित भारत अभियान की शुरुआत की गई। एक अगस्त से 31 अगस्त तक आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान सामुदायिक रेडियो नोएडा, ग्रेटर नोएडा एवं गाजियाबाद के सरकारी विद्यालय एवं गांवों में जागरूकता अभियान चलाएगा।

सलाम नमस्ते में “स्वस्थ्य भारत शिक्षित भारत अभियान” की शुरुआत

वहीं शनिवार को कार्यक्रम के दौरान रेडियो की ओर से सीदीपुर एवं धूम मानिकपुर में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, महिलाएं एवं स्कूली छात्रों के साथ न्यूट्री इंडिया कैंपेन के तहत स्वस्थ भारत शिक्षित भारत विषय पर चर्चा की गई।

सलाम नमस्ते की स्टेशन हेड बर्षा छबारिया ने बताया कि स्वस्थ भारत शिक्षित भारत अभियान के तहत गांवों में स्वच्छ जल एवं प्रदूषित जल से जुड़ी बीमारियों के प्रति जागरूकता फैलाई जा रही है। खास कर महिलाओं में हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस ई, डायरिया एवं एनीमिया के कारण एवं बचाव के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है।

वहीं उन्होंने कहा कि इस अभियान के तहत हम समुदाय को अपने आसपास स्वच्छता बनाए रखने के लिए भी प्रेरित कर रहे हैं। बारिश के मौसम में जलजमाव एवं मच्छर जनित रोग से बचने के लिए भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है। सलाम नमस्ते की स्टेशन हेड कहा कि महिलाएं अपने स्वास्थ्य के साथ-साथ स्वच्छता पर भी ध्यान केंद्रित करें।

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वर्षा छबारिया ने बताया कि सामुदायिक रेडियो सलाम नमस्ते महिला एवं बाल स्वास्थ्य के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। हमारी कोशिश आसपास के सभी गांवों एवं कामकाजी महिलाओं को रेडियो के माध्यम से जोड़कर सही पोषण के लिए जागरूक करना है। उन्होंने कहा कि सही पोषण के लिए सिर्फ खान-पान जिम्मेदार नहीं है, वरन खाने के साथ टेलीविजन देखना, बच्चो को मोबाइल में उलझा कर खाना खिलाना, खरे होकर या कुर्सी एवं दीवार में पीठ टिकाकर खान खाना भी इसके जिम्मेदार है।

निम्न एवं आर्थिक रूप से कमजोर होना कुपोषण का कारण नहीं है, वरन भागदौड़ भरी जिन्दगी में अत्यधिक मात्रा में फास्ट फूड का सेवन कुपोषण का मुख्य कारण है। हम अपने खानपान में खास तौर से तीन रंगों के भोजन को शामिल कर पोषण के लिए समाज के हर वर्ग एवं व्यक्ति को जागरूक कर सकते हैं। कुपोषण से मुक्ति के लिए दिनचर्या में सुधार के साथ-साथ सही पोषण को भी व्यवहार में लाने की जरूरत है।

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