क्या ईरान ने इजरायल को समय के जाल में फंसा दिया?
International Desk: आज, 7 अक्टूबर, को हमास द्वारा इजरायल पर हुए हमले की पहली बरसी है, जिसने मध्य पूर्व में तनाव बढ़ा दिया है। गाजा में हमास पर इजरायल के हमले से शुरू हुई यह जंग अब लगभग सात मोर्चों पर लड़ी जा रही है। इजरायल अपने दुश्मनों के खिलाफ सख्त रुख अपनाए हुए है, लेकिन ईरान की सक्रियता ने स्थिति को और जटिल बना दिया है।
हिज्बुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह के खात्मे के बाद, ईरान ने भी अपने जवाबी कदम उठाने की ठानी। पिछले हफ्ते, ईरान ने इजरायल पर 200 मिसाइलें दागकर अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरान ने इजरायल को टाइमिंग के गेम में उलझा दिया है, जिससे इजरायल को नए मोर्चे खोलने से बचने का मौका मिल रहा है।
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इस समय इजरायल मिडिल ईस्ट में सात अलग-अलग मोर्चों पर लड़ाई कर रहा है। ये मोर्चे हैं:
- गाजा में हमास
- वेस्ट बैंक में हमास और फिलिस्तीनी जिहाद
- लेबनान में हिज्बुल्लाह
- इराक में पॉपुलर मोबिलाइजेशन फोर्सेस
- सीरिया में अफगानी शरणार्थियों का संगठन फातेमियों ब्रिगेड
- यमन में हूती विद्रोही
- बहरीन में अल-अश्तार ब्रिगेड
इन सभी मोर्चों पर एक साथ लड़ने की मजबूरी ने इजरायल की स्थिति को कमजोर किया है, जिससे ईरान फायदा उठाने की कोशिश कर रहा है। ईरान की रणनीति यह है कि इजरायल को विभिन्न मोर्चों पर व्यस्त रखकर एक नए युद्ध के मोर्चे को खोलने से रोका जाए।
इस संदर्भ में, ईरान की चालें स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं कि वह इजरायल के खिलाफ अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए किस प्रकार की रणनीतियां अपना रहा है। जैसे-जैसे स्थिति विकसित हो रही है, यह देखना दिलचस्प होगा कि इजरायल इन चुनौतियों का कैसे सामना करता है।
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