नोएडा/नई दिल्ली:
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस सांसद शशि थरूर समेत छह पत्रकारों पर उत्तर प्रदेश में देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया है. इन सभी पर गणतंत्र दिवस के दिन आयोजित किसान ट्रैक्टर मार्च, जो हिंसक हो गई थी, से जुड़ी गलत खबर सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के आरोप हैं. सभी पर सामाजिक वैमनस्य फैलाने के भी आरोप लगाए गए हैं. इन पर देशद्रोह समेत आपराधिक षडयंत्र और शत्रुता को बढ़ावा देने सहित आईपीसी के तहत कई आरोप लगाए गए हैं.
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इन लोगों के खिलाफ दिल्ली से सटे शहर नोएडा के एक थाने में स्थानीय निवासी द्वारा प्राथमिकी दर्ज कराई गई है. एफआईआर में थरूर और पत्रकारों पर उनके “डिजिटल प्रसारण” और “सोशल मीडिया पोस्ट” के लिए आरोपी बनाया गया है. एफआईआर के मुताबिक, इन लोगों ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया था कि लाल किले की घेराबंदी और ट्रैक्टर रैली के दौरान हिंसा में दिल्ली पुलिस ने एक किसान को गोली मार दी थी.
जिन पत्रकारों के नाम FIR में दर्ज हैं, उनमें मृणाल पांडे, राजदीप सरदेसाई, विनोद जोसे, ज़फ़र आगा, परेश नाथ और अनंत नाथ शामिल हैं. समाचार एजेंसी PTI से नोएडा के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने इसकी पुष्टि की है और कहा, “हां, FIR दर्ज की गई है.”
26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के दिन, हजारों प्रदर्शनकारी किसान तीनों नए कृषि कानूनों के विरोध में ट्रैक्टर रैली के दौरान पुलिस के साथ भिड़ गए थे. इस दौरान सैकड़ों प्रदर्शनकारी ऐतिहासिक लाल किले में जबरन घुस गए थे और पुलिस से हिंसक झड़पें की थीं. लाल किले हिंसा के लिए दिल्ली पुलिस ने पहले ही पंजाबी एक्टर दीप सिद्धू और गैंगस्टर से एक्टिविस्ट बने लाखा सिधाना को एफआईआर में आरोपी बनाया है.
बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस की परेड खत्म होने के बाद किसानों को ट्रैक्टर रैली शुरू करने की अनुमति दी गई थी लेकिन, किसानों द्वारा निर्धारित समय से पहले ही बैरिकेड्स तोड़ने और निर्धारित किए गए रूट को बदल देने के बाद ये उपद्रव हुए थे.
इस घटना के बाद गुरुवार को पुलिस ने दिल्ली-यूपी के गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों से धरना स्थल छोड़ने को कहा लेकिन किसानों ने इससे इनकार कर दिया. किसान नेता राकेश टिकैत ने एलान किया कि वो गोली खाने को तैयार हैं लेकिन धरनास्थल नहीं छोड़ेंगे. इसके बाद वहां भारी सुरक्षा बल तैनात कर दिया गया है. दिल्ली के टिकरी और सिंघू बॉर्डर पर भी भारी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है.
उधर, पड़ोसी राज्य हरियाणा- जो भाजपा शासित राज्य है- के करनाल में लगभग दो महीने से विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को धरना स्थल खाली करने को कहा गया है. स्थानीय लोगों ने उन्हें 24 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए कहा कि विरोध के कारण उन्हें असुविधा का सामना करना पड़ रहा है. हरियाणा पुलिस भी राजमार्ग टोल प्लाजा पर फिर से नियंत्रण पाने की कोशिश कर रही है, जो किसानों द्वारा समाप्त कर दिया गया था.