50 youths cheated Rs 1.5 crore by pretending to enroll in 300-bed hospital in Bareilly – बरेली में 300 बिस्तरों के हास्पिटल में भर्ती का झांसा देकर 50 युवकों से डेढ़ करोड़ रुपये ठगे

HamaraTimes.com | 50 youths cheated Rs 1.5 crore by pretending to enroll in 300-bed hospital in Bareilly - बरेली में 300 बिस्तरों के हास्पिटल में भर्ती का झांसा देकर 50 युवकों से डेढ़ करोड़ रुपये ठगे

बरेली में 300 बिस्तरों के हास्पिटल में भर्ती का झांसा देकर 50 युवकों से डेढ़ करोड़ रुपये ठगे

Bareilly पुलिस ने कहा, जांच कर आरोपियों पर कार्रवाई करेंगे

बरेली:

बरेली के एक सरकारी अस्‍पताल में भर्ती के नाम ( Bareilly Hospital Recruitment Cheating ) पर डेढ़ करोड़ रुपये की ठगी का खुलासा हुआ है. स्वास्थ्य विभाग के कुछ कर्मियों पर ही 50 युवकों को झांसा देकर ये रकम हड़पने का आरोप लगाया है. बरेली एसएसपी ने युवकों की शिकायत का संज्ञान लेते हुए जांच का आदेश दिया है.

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सीएमओ कार्यालय और जिला महिला अस्पताल में तैनात कथित कुछ लिपिकों (क्लर्कों) द्वारा एक सरकारी अस्पताल में नौकरी देने के नाम पर यह फर्जीवाड़ा करने का आरोप लगा है. बरेली के एसएसपी रोहित सिंह सजवाण ने कहा कि 50 युवकों ने 300 बिस्तर के अस्पताल में नौकरी के नाम पर 3-3 लाख रुपये की ठगी का आरोप बरेली के सीएमओ कार्यालय के बाबू पर लगाया है. जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.

पीलीभीत के थाना सुनगढ़ी के सोमेश कश्यप, वजीरगंज बदायूं के महेश कश्यप ,आकाश कश्यप, सिविल लाइंस बरेली निवासी राहुल कश्यप ने आरोप लगाया है कि बरेली के सीएमओ कार्यालय में तैनात एक बाबू से उनकी जान पहचान थी. उसने जिला अस्पताल के तीन अन्य लिपिकों से मिलवाया और वर्ष 2019 में बरेली में खुले 300 बिस्तरों के नए अस्पताल में चपरासी सुपरवाइजर, कंप्यूटर ऑपरेटर, लैब टेक्नीशियन, ड्राइवर, वार्ड आया और वार्ड व्बॉय के संविदा पदों पर भर्ती की जानकारी दी.

बाबू ने कहा कि सभी पदों पर सीएमओ बरेली भर्ती करेंगे और अगर पांच लाख रुपये दोगे तो भर्ती करा देंगे. उनसे आवेदन भरवाए गए और अग्रिम के तौर पर 3-3 लाख रुपये लिए गए. नियुक्ति पत्र में देरी से परेशान युवकों ने जब उस बाबू से पूछताछ की तो उसने मार्च 2020 में फर्जी नियुक्ति पत्र देना शुरू कर दिया. आरोप है कि इसके बाद कोविड-19 महामारी का हवाला देते हुए बाबू ने नियुक्ति का मामला टाल दिया.

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बाबू ने युवकों से कहा कि अस्पताल को कोविड-19 मरीजों के लिए आरक्षित कर दिया गया है, इसलिए अभी नियुक्ति नहीं हो सकेगी. कोरोना से संक्रमण के मामले कम होने के बाद अगस्त 2020 में आवेदकों ने फिर दबाव बनाया तो आरोपित ने अगस्त में ही सभी को एक-एक कर जिला अस्पताल बुलाया. मेडिकल कराने के बाद सभी को मेडिकल प्रमाण पत्र दिए गए, जिन पर कथित तौर पर चिकित्सालय के अधिकारी के हस्ताक्षर और मुहर थी.

लेकिन सितंबर-अक्टूबर में जब वे नियुक्ति पत्र लेकर अस्पताल पहुंचे तो पता चला कि ये फर्जी है. अस्पताल में कोई भर्ती की प्रक्रिया नहीं चल रही है. युवकों को ठगी का अहसास हुआ और जब वे उस बाबू के पास पहुंचे तो उसने पैसे वापस करने का आश्‍वासन दिया. हालांकि नौकरी के नाम पर लिए गए धन को कई माह तक वापस न किये जाने पर युवकों ने पुलिस में शिकायत की.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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